संदेश न्यूज़ 24 गोरखपुर : छठ महापर्व को लेकर छठ घाटों पर बड़ी संख्या में लोग जुटे हैं. चार दिवसीय इस महापर्व के तीसरे दिन सोमवार को बड़ी संख्या में छठ व्रती अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के लिए गंगा तट सहित विभिन्न तालाबों और जलाशयों तक पहुंचे.है।

छठ एक पारंपरिक व्रत है। जिसमें सास अपनी बहू को डाला छठ की खास पूजन डलिया देती है। इस व्रत को आगे बढ़ाने में महिलाओं का ही योगदान प्रमुख है। परंपरा से जुड़ा होने के कारण तमाम व्यस्तताओं के बीच महिलाएं व्रत के लिए समय निकाल ही लेती हैं। यह पर्व शुद्धता, धैर्य और अनुशासन की मिसाल है।
चार चरणों में संपन्न होती है पूजन विधि
छठ व्रत की संपूर्ण पूजन विधि चार प्रमुख चरणों में सम्पन्न होती होती है। पहला चरण है नहाय-खाय, जिसमें व्रती महिलाएं नदी या तालाब में स्नान कर शुद्धता का संकल्प लेती हैं और शाम को कद्दू-भात ग्रहण करती हैं। दूसरे चरण खरना में दिनभर निर्जला उपवास रखा जाता है और रात में गुड़-खीर व रोटी का प्रसाद ग्रहण कर कठोर उपवास की शुरुआत होती है। तीसरे चरण से शुरू होती है सूर्य पूजा। पहले अस्त होते सूर्य को जल में खड़े होकर अर्घ्य दिया जाता है। उसके बाद उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के साथ महापर्व का समापन होता है।
पर्व ही नहीं, जीवन दर्शन भी है छठ
गोरखपुर में छठ अब केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि लोकसंस्कृति, अनुशासन और सामाजिक एकता का उत्सव बन चुका है। डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर जब महिलाएं जल से बाहर आती हैं, तो लगता है मानो आस्था ने फिर से जीवन को नई रोशनी दे दी हो। यह पर्व सिखाता है कि श्रद्धा केवल पूजा में नहीं, बल्कि प्रकृति, परिवार और समाज के प्रति कृतज्ञता में निहित है।




